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Pusa Basmati 1121

धान की नई किस्म मचा रहीं धमाल

धान की नई किस्म मचा रहीं धमाल

हरित क्रांति की शुरुआत के दौर से अभी तक हुए अनुसंधानौं के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा दिल्ली ने धान की विश्व में धमाल मचाने वाली 1121, 1509,1637 ,1728 , 1718 के अलावा अनेक किस्में विकसित की हैं। समूचे विश्व में निर्यात होने वाली बासमती की अधिकांश किस्में पूसा संस्थान की देन हैं। 

किसान धान लगाने की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में उन्हें यह जानना जरूरी है किस किस्म से उत्पादन अच्छा मिलेगा एवं बाजार में किस किस्म की अच्छी मांग होगी।

पूसा धान की 10 नई किस्में (Top10 New Varieties of Pusa Dhan)

पूसा बासमती 1509

वर्ष 2013 में यह मूर्छित इस किस्म को पंजाब एवं दिल्ली राज्य के बासमती उगाने वाले क्षेत्रों के लिए संस्तुत किया गया लेकिन यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान तक में अच्छा उत्पादन दे रही है। 

इसकी औसत उपज 50 से 60 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है। इसके पौधे अर्ध बोने एवं गिरने के प्रति प्रतिरोधी है। पकने पर इसके दाने झड़ते नहीं हैं। 

यह पर्ण झुलसा रोग, भूरा धब्बा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है । तीव्र सुगंध, लंबा दाना एवं पकने में गुणवत्ता युक्त होने के कारण इसकी समूचे विश्व में अच्छी मांग है।

पूसा 1612

55 से 62 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने वाली यह किस्म पंजाब ,हरियाणा ,दिल्ली एवं जम्मू कश्मीर राज्य में सिंचित अवस्था में रोपाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म पूसा सुगंध 5 का विकसित रूप है। 

यह ब्लास्ट बीमारी के प्रति प्रतिरोधी है।पकने में 120 दिन का समय लेती है। इस किस्म में लीफ ब्लास्ट बीमारी के प्रतिरोधक  जीन विद्यमान हैं। पैदावार की दृष्टि से पूसा बासमती 1,  तरावड़ी एवं पूसा बासमती 1121 से अच्छी है। 

पूसा बासमती 6- 1401

पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में सिंचित अवस्था में यह किस्म 50 से 55 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है । यह मध्यम बोनी किस्म है। यह पकने पर गिरती नहीं है । 

दानों की समानता और पकने की गुणवत्ता के हिसाब से यह किस्म पूसा बासमती 1121 से बहुत अच्छी है। पकने पर दाना एक समान रहता है। सुगंध अच्छी है । 150 से 155 दिन में पकती है। 

उन्नत पूसा बासमती 1 -1460

पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में सिंचित अवस्था मैं यह किस्म 55 से 63 कुंतल तक उपज देती है। 135 से 40 दिन में पक्का तैयार होती है। 

उषा सुगंध 5-25 11

दिल्ली पंजाब हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर राज्य में यह किस्म में 55 से 62 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। यह  उच्च उपज देने वाली सुगंधित चावल की किस्म उत्तर  भारत में वहु फसली पद्धति के लिए उत्तम है ।

सुगंधित और लंबी देने वाली यह किस्म पकाव में गुणवत्तापूर्ण है। झड़ने के प्रति सहिष्णु है। यह  भूरे धब्बे की प्रतिरोधी, पत्ती लपेटक एवं  ब्लास्ट के प्रति माध्यम प्रतिरोधी है। 125 दिन में तैयार हो जाती है। 

पूसा बासमती 1121

पंजाब हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड एवं बासमती धान उगाने वाले सभी क्षेत्रों में सिंचित अवस्था में यह किस्म 40 से 45 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। पकने में 140 से 45 दिन लगते हैं । इसका दाना 8 मिलीमीटर लंबा होता है जो पकने के बाद 20 मिलीमीटर तक लंबा हो जाता है। 

पूसा आर एच-10 संकर धान

पंजाब ,हरियाणा, दिल्ली ,पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में यह किस्म 65 से 70 कुंतल तक उपज देती है। यह बासमती गुण वाली धान की विश्व में प्रथम संकर किस्म है। 

इसका दाना अत्यधिक सुगंधित ,लंबा और पतला है जो पकने पर लंबाई में 2 गुना बढ़ जाता है । यह  110 से 15 दिन का समय लेती है। 

पूसा बासमती 1718

यह किशन पूसा बासमती 1121 को संशोधित कर बनाई गई है। यह 1121 से 15 दिन पहले पक जाती है। लंबाई उतनी ही है लेकिन यह 11 21 किस्म के मुकाबले थोड़ा कम गिरती है। रोग कम आते हैं और उपज 1121 से ज्यादा होती है। 

पूसा बासमती 1728

यह धान की 14 01  किस्म से तैयार संशोधित प्रजाति है। बीएलबी रोग नहीं आता है। उपज भी 32 कुंतल प्रति एकड़ तक आ जाती है। 

पूसा बासमती 1637

इस किस्म से  30 कुंतल प्रति एकड़ तक उत्पादन मिल जाता है। यह भी पूसा की पूर्व में विकसित किस्मों की संशोधित प्रजाति है। मुख्य रूप से पूसा बासमती एक का यह संशोधित वर्जन है और गर्दन तोड़ जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है।

धान की इन किस्मों का उत्पादन करके उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं

धान की इन किस्मों का उत्पादन करके उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं

पूसा सुगंध- 5 बासमती धान की एक उत्तम किस्म है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस किस्म को हरियाणा, दिल्ली जम्मू- कश्मीर, पंजाब और उत्तर प्रदेश की जलवायु को देखते हुए विकसित किया है। 

मानसून की दस्तक के साथ ही धान की खेती चालू हो गई है। समस्त राज्यों में किसान भिन्न भिन्न किस्म के धान का उत्पादन कर रहे हैं। कोई मंसूरी धान की खेती कर रहा है, तो कोई अनामिका धान की खेती कर रहा है। 

परंतु, बासमती की बात ही कुछ ओर है। अगर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा के किसान बासमती की खेती करना चाहते हैं, तो आज हम उनको कुछ ऐसी प्रमुख किस्मों के विषय में जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे उनको अच्छी खासी पैदावार अर्जित होगी। 

विशेष बात यह है, कि इन प्रजातियों को कृषि वैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न राज्यों के मौसम को ध्यान में रखते हुए इजात किया है।

पूसा सुगंध- 5:

पूसा सुगंध- 5 बासमती धान की एक उम्दा किस्म है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस किस्म को जम्मू- कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, यूपी और हरियाणा की जलवायु को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है। 

यदि इन राज्यों के किसान पूसा सुगंध- 5 की खेती करते हैं, तो उनको बेहतरीन उत्पादन मिलेगा। पूसा सुगंध- 5 की रोपाई करने के 125 दिन पश्चात इसकी फसल पक कर तैयार हो जाती है। इसकी खेती करने पर एक हेक्टेयर में 60-70 क्विंटल तक पैदावार होगी। 

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पूसा बासमती- 1121:

पूसा बासमती- 1121 को कृषि वैज्ञानिकों ने सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया है। इसकी फसल 145 दिन के अंतर्गत तैयार हो जाती है। 

पूसा बासमती- 1121 की उत्पादन क्षमता 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। विशेष बात यह है, कि पूसा बासमती- 1121 धान की एक अगेती किस्म है।

पूसा सुगंध- 3:

पूसा सुगंध- 3 को सुगंध और लंबे चावल के दाने के लिए जाना जाता है। यह खाने में बेहद ही स्वादिष्ट लगता है। यदि हरियाणा, पश्चिमी यूपी, उत्तराखंड, पंजाब और दिल्ली के सिंचित क्षेत्रों के किसान इसकी खेती करते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 60-65 क्विंटल पैदावार अर्जित कर सकेंगे। इसकी फसल 125 दिन के अंतर्गत पक कर तैयार हो जाती है। 

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पूसा बासमती- 6:

पूसा बासमती- 6 की सिंचित इलाकों में रोपाई करने पर अधिक उत्पादन अर्जित होगा। यह एक बौनी प्रजाति का बासमती धान होता है। इसके दाने काफी ज्यादा सुगंधित होते हैं। पूसा बासमती- 6 की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल होती है।

पूसा बासमती- 1:

पूसा बासमती- 1 धान की एक ऐसी किस्म है, जिसका उत्पादन किसी भी प्रकार के सिंचित क्षेत्रों में किया जा सकता है। इसमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता ज्यादा पाई जाती है। इसमें झुलसा रोग की संभावना ना के समान है। 

विशेष बात यह है, कि पूसा बासमती- 1 की फसल 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है। मतलब कि 135 दिन के पश्चात किसान इसकी कटाई कर सकते हैं। 

यदि आप एक हेक्टेयर भूमि में पूसा बासमती- 1 की खेती करते हैं, तो लगभग 50-55 क्विटल तक उत्पादन मिल सकता है।